नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेस (निमहांस) की निदेशक डाक्टर प्रतिमा मूर्ति ने शराब और नशीली दवाओं के लगातार सेवन से शरीर के कमजोर होने की गंभीरता पर प्रकाश डाला है. उन्होंने कहा कि लंबे समय तक शराब पीने से शरीर सिग्नल देना बंद कर दे.
महिलाओं में नशे की प्रवृत्ति में तेजी
डॉ। मूर्ति ने विशेष रूप से इस बात पर चिंता जताई कि हाल के सालों में स्त्रियों में नशे की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है. खासकर प्रिस्क्राइब्ड दवाओं जैसे स्लीपिंग पिल्स और पेनकिलर्स का इस्तेमाल नशे के रूप में किया जा रहा है. यह आदत स्त्रियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रही है. उन्होंने बोला कि स्वास्थ्य पेशेवरों को इन दवाओं के उचित इस्तेमाल के बारे में सतर्क रहना चाहिए ताकि इनके दुरुपयोग को रोका जा सके.
जेंडर-आधारित पॉलिसी की जरूरत
महिलाओं में नशे की परेशानी के निवारण के लिए जेंडर-आधारित नीतियों की जरूरत को भी रेखांकित किया गया है. पहले नशे की आदतें 30-40 वर्ष की उम्र की स्त्रियों में देखी जाती थीं, लेकिन अब यह परेशानी 20-30 वर्ष की युवतियों में भी बढ़ रही है. यह प्रवृत्ति न सिर्फ़ स्त्रियों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि इससे सामाजिक दृष्टिकोण भी प्रभावित हो रहा है.
समाज में स्त्रियों के प्रति पूर्वाग्रह
महिलाओं में नशे की आदतों को लेकर समाज में अब भी पूर्वाग्रह बने हुए हैं. जहां मर्दों के नशे को सामान्य माना जाता है, वहीं स्त्रियों के शराब पीने या नशा करने पर समाज की ओर से नकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिलती है. इससे इन स्त्रियों को इलाज प्राप्त करने में मुश्किल होती है और उन्हें परिवार और समाज से कम योगदान मिलता है. डाक्टर मूर्ति ने बोला कि नशे की परेशानी के निवारण के लिए जागरूकता फैलाने और नीतियों में सुधार की जरूरत है.