इस्लामाबाद: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के दिनों में संबंधों में सुधार के संकेत नजर आ रहे हैं। विशेष रूप से, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की 15-16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लेने के उद्देश्य से की गई यात्रा ने नए उम्मीदों को जन्म दिया है। हालांकि, इस दौरे के दौरान जयशंकर और पाक पीएम शहबाज शरीफ के बीच संक्षिप्त बातचीत के अलावा कोई महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई, फिर भी इस यात्रा से व्यापार पुनरारंभ की संभावनाओं पर चर्चा शुरू हो गई है।
पाकिस्तान के एक प्रमुख अखबार ‘ट्रिब्यून’ के अनुसार, जयशंकर की यात्रा को भू-राजनीति से भू-अर्थशास्त्र की ओर जाने वाले एक रणनीतिक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। यह यात्रा क्षेत्र की दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं, भारत और पाकिस्तान के बीच आर्थिक संबंधों में सुधार की आशा को जगा रही है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के बीच वर्तमान में राजनीतिक तनाव बना हुआ है, जिससे व्यापारिक संबंधों की बहाली में मुश्किलें आ सकती हैं।भारत ने पाकिस्तान के निर्माण के बाद उसे अपना सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार माना था। 1948 में जब विश्व व्यापार संगठन के पूर्ववर्ती टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौते (जीएटीटी) की स्थापना हुई, तब दोनों देशों ने एक-दूसरे को “सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र” (MFN) का दर्जा दिया। लेकिन 1965 के युद्ध के बाद से व्यापारिक रिश्तों में बाधाएँ आनी शुरू हुईं।
1974 में आर्थिक संबंधों के पुनः आरंभ होने पर भारत और पाकिस्तान ने व्यापार को सकारात्मक सूचियों के आधार पर संचालित करने का निर्णय लिया, जिससे व्यापार में कमी आई। भारत ने 1996 में पाकिस्तान को एमएफएन का दर्जा बहाल किया, लेकिन पाकिस्तान ने तब तक भारत के लिए सकारात्मक सूची बनाए रखी। 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को दिया गया एमएफएन दर्जा रद्द कर दिया, और इसी वर्ष जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया। इसके बाद से द्विपक्षीय व्यापार लगभग पूरी तरह ठप हो गया। हालाँकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में भारत-पाक व्यापार संबंधों में सुधार की संभावनाएँ बन सकती हैं।