अफगानिस्तान की राजधानी में शनिवार सुबह 10 बजे शेख जायद हॉस्पिटल के सामने धमाका हुआ. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जहां विस्फोट हुआ वह स्थान आंतरिक मंत्रालय के कार्यालय के निकट थी. काबुल में यह 24 घंटे के भीतर दूसरा विस्फोट है. पहला धमाका एक दिन पहले काबुल के शाहरी नव क्षेत्र में भारतीय दूतावास के पास हुआ था. अफगान गवर्नमेंट ने इस घटना पर खामोशी साधी हुई है.
काबुल के क्षेत्रीय निवासी समीउल्लाह ने बताया, किसी के हताहत होने की समाचार नहीं है. इर्द-गिर्द के इलाकों में तलाशी अभियान प्रारम्भ कर दिया गया है. विस्फोट के पीछे का मकसद अभी तक अज्ञात है. घटना के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
इससे पहले शुक्रवार को दोपहर करीब 3:30 बजे काबुल के शाहरी नौ क्षेत्र में स्थित भारतीय दूतावास के पास क्षेत्रीय लोगों ने विस्फोट की आवाज सुनी. अफगान तालिबान शासन ने इस घटना पर खामोशी साधे रखी. हालांकि, रिपोर्टों से पता चला है कि विस्फोट में कम से कम 17 लोग हताहत हुए हैं.
काबुल में एक क्षेत्रीय सूत्र ने बताया, कल (शुक्रवार) हुए विस्फोट में दर्जनों लोग मारे गए और ऐसा लग रहा था कि इसका टारगेटक काबुल में भारतीय दूतावास के पास कहीं था. 24 दिसंबर को जलालाबाद में भारतीय वाणिज्य दूतावास के एक अफगान कर्मचारी पर धावा किया गया और वह घायल हो गया.
काबुल में विस्फोट ऐसे समय में हो रहे हैं जब पाक और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर झड़पें तेज हो गई हैं. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, टोलोन्यूज ने राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के एक सूत्र के हवाले से कहा कि पाक की सीमा से लगे पूर्वी अफगानिस्तान के खोस्त और पक्तिका प्रांतों में भयंकर झड़पें जारी हैं. सीमा चौकियों पर हुए भयंकर संघर्ष में 19 पाकिस्तानी सैनिक और तीन अफगान नागरिकों की मृत्यु हो गई.
यह झड़पें मंगलवार रात को पक्तिका प्रांत में पाकिस्तानी एयर हड़ताल के बाद हुई हैं. हवाई हमले में स्त्रियों और बच्चों सहित 51 लोग मारे गए.
कभी एक दूसरे के गहरे दोस्त रहे तालिबान और इस्लामाबाद आज सैन्य झड़पों तक पहुंच गए हैं. इस्लामाबाद और काबुल के बीच दुश्मनी की सबसे बड़ी वजह तहरीक ए तालिबान पाक (टीटीपी या पाकिस्तानी तालिबान) है.
टीटीपी का उद्देश्य पाकिस्तानी सशस्त्र बलों और राज्य के विरुद्ध आतंकी अभियान चलाकर पाक गवर्नमेंट को उखाड़ फेंकना है. मीडिया रिपोट्स् के अनुसार यह पाक की निर्वाचित गवर्नमेंट को हटाकर इस्लामी कानून की अपनी व्याख्या के आधार पर एक कट्टरवादी शासन की नींव रखना चाहता है.
हाल के दिनों में, इस्लामाबाद ने बार-बार अफगान गवर्नमेंट पर सशस्त्र समूहों, विशेष रूप से टीटीपी को पनाह देने का इल्जाम लगाया है. हालांकि काबुल इस इल्जाम को खारिज करता रहा है.