मध्य अफ्रीका में दिखाई पहली बार पनपने वाला एमपॉक्स वायरस अब पूरी दुनिया में पैर पसारने लगा है. इस वायरस को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बताया जा रहा है. एमपॉक्स को लेकर हिंदुस्तान भी अलर्ट मोड पर है.
राजधानी दिल्ली में गवर्नमेंट के द्वारा अस्पतालों में एमपॉक्स रोगियों के लिए बेड आरक्षित किए गए हैं. वहीं, इन सबके बीच एमपॉक्स वायरस से बचाव के लिए बीएचयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के चिकित्सक गोपाल नाथ ने बचाव के ढंग सुझाए हैं. आईएएनएस से वार्ता के दौरान, उन्होंने बोला है कि एमपॉक्स के बढ़ते खतरे को लेकर हिंदुस्तान पूरी तरह अलर्ट मोड पर है. हमारी स्वास्थ्य विभाग की टीम भी पूरी तरह अलर्ट है. उन्होंने बोला कि एमपॉक्स का वायरस निकालकर यदि उसे कमजोर कर दिया जाए तो वह वैक्सीन के तौर पर कारगर साबित होगा. उन्होंने बोला कि किसी भी वैक्सीन का यही रूल होता है.
उन्होंने आगे बोला कि वैक्सीन बनी हुई है. दो तरह के वेरिएशन हैं. यदि वह लगाएंगे तो बचाव होगा.
डॉक्टर गोपाल नाथ ने बोला कि काउ पॉक्स और एमपॉक्स के बीच के लक्षण सामान्य जैसे ही होते हैं. बस थोड़ा सा अंतर होता है. जैसे कि काउ पॉक्स में पस बन जाता है. वायरस के लिए कोई दवा नहीं होती है. वायरस के लिए वैक्सीन दी जाती है. वायरस को निकालकर उसे थोड़ा कमजोर कर इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाता है, जिससे शरीर में एंटीबॉडी बन जाए, एंटीबॉडी बनने से वह वायरस से लड़ने में कारगर होता है.
बता दें कि इस वायरस की खोज मूल रूप से 1958 में डेनमार्क में अनुसंधान के लिए रखे गये बंदरों में हुई थी. इंसानों में इसका पहला मुद्दा 1970 में कांगो में दर्ज किया गया था. सन 1980 में चेचक के खात्मे के बाद, एमपॉक्स मध्य, पूर्वी और पश्चिमी अफ्रीका में उभरने लगा.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कांगो में मंकीपॉक्स के कारण कम से कम 610 लोगों की मृत्यु हो गई है. गवर्नमेंट ने यहां के लोगों से सुरक्षात्मक तरीकों को अपनाने के बारे में बोला है. इसके साथ ही उन्होंने लोगों से टीकाकरण करवाने को बोला है. राष्ट्र में अब तक 17,801 संदिग्ध मुद्दे सामने आए हैं.