दुनियाभर में टीके लगने की शुरुआत होने से कोरोना वायरस का खात्मा अब करीब लग रहा है। कोरोना टीकाकरण वर्तमान में करीब 60 देशों में चल रहा है और कुल 4.17 करोड़ डोज वैक्सीन लोगों को लगाई जा चुकी है। वहीं, कुल 17 कोरोना वैक्सीन को इस समय दुनिया के अलग-अलग देशों में मंजूरी दी जा चुकी है और इनकी 12.7 अरब डोज को विभिन्न देश अपने नागरिकों के लिए रिजर्व कर चुके हैं। ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि आखिर किस वैक्सीन की दुनिया में कितनी मांग है और कौन सी वैक्सीन कितनी सफल साबित हो रही है? आइये इन्ही सवालों का जवाब जानते हैं?
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन की सबसे ज्यादा मांग
सभी 17 कोरोना वैक्सीन में सबसे ज्यादा मांग ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन कोविशील्ड की है, जिसकी 2 अरब डोज का करार हो चुका है। इसका वैज्ञानिक नाम एजेडी 1222 है। यह वैक्सीन भारत के अलावा यूरोपीय यूनियन, अमेरिका और इंडोनेशिया समेत कई देशों में लग रही है। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोवैक्स प्रोजेक्ट के तहत विकासशील और गरीब देशों से इस वैक्सीन का करार किया हुआ है। ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन के बाद फाइजर कंपनी की एक अरब डोज, जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी की एक अरब डोज, सनोफी-जीएसके की 73 करोड़ डोज का करार हो चुका है। इसके बाद मॉडर्ना कंपनी की (50 करोड़), नोवावैक्स कंपनी (38 करोड़), सिनोवैक्स कंपनी की (38 करोड़) डोज की डिमांड है। इसके अलावा रूस की स्पूतनिक वी, क्योरवैक, कोवैक्स, मेडिकागो, वालनेवा, सिनोफार्मा, कैनसिनो बॉयोलाजी जैसी वैक्सीन की भी मांग है।
भारत में 16 जनवरी से शुरू टीकाकरण अभियान अभी शुरुआती चरण में है, वहीं दुनिया के कई देशों- जैसे, इजराइल 46.71 फीसद, यूएई 27.07 फीसद, यूनाइटेड किंगडम 10.79 फीसद, बहरीन 8.47 फीसद और अमेरिका 7.11 फीसद आबादी को कम से कम एक टीका लगा चुके हैं। जबकि कोरोना की ज्यादातर वैक्सीन में 2 डोज लगनी जरूरी हैं। ऑवरवर्ल्डइनडाटा के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 0.17 फीसद आबादी को कोरोना का कम से कम एक टीका लग चुका है। जनवरी 25 तक के आंकड़ों के मुताबिक, हमारे देश में 20 लाख डोज वैक्सीन लग चुकी हैं।
कोरोना वैक्सीन के उत्पादन की क्षमता अमेरिका और भारत में सबसे ज्यादा है। डाटा विश्लेषण कंपनी एयरफिनिटी के मुताबिक, अमेरिका 2021 तक 4.7 अरब कोरोना वैक्सीन का उत्पादन कर लेगा। वहीं डाइचीवेले के एक डाटा के मुताबिक, भारत में 2021 तक 3.13 अरब डोज का उत्पादन होगा। इसके बाद चीन (1.90 अरब), ब्रिटेन (0.95 अरब), जर्मनी (0.50 अरब) और दक्षिण कोरिया (0.35 अरब) में ज्यादा संख्या में वैक्सीन बनाई जाएगी। वहीं सबसे बड़ी कंपनी की बात करें तो भारत की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट दुनिया की सबसे बड़ी कोरोना वैक्सीन उत्पादक है। यह हर साल 1.4 अरब डोज वैक्सीन का उत्पादन अकेले ही करती है।