भारत के कुछ निजी अस्पतालों ने रूस के स्पुतनिक वी वैक्सीन के आर्डर रद कर दिए हैं। इसका एक और प्रमुख कारण यह बताया जा रहा है कि सरकार द्वारा दी जाने वाली अन्य टीकों की मुफ्त खुराक की आपूर्ति में वृद्धि हुई है। इसलिए अस्पताल स्पुतनिक वी की डोज बेचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कुछ उद्योग अधिकारियों ने कहा कि कम मांग और अत्यधिक ठंडे भंडारण तापमान का होना, आर्डर रद करने के लिए मुख्य वजह बनी। बताया गया कि तीन बड़े अस्पतालों द्वारा स्पुतनिक वी के आर्डर रद किए गए हैं।
पश्चिमी शहर पुणे में भारती विद्यापीठ मेडिकल कालेज और अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी जितेंद्र ओसवाल ने कहा, ‘भंडारण और इससे जुड़ी सभी चीजों के साथ हमने 2,500 खुराक के लिए अपना आर्डर रद कर दिया है। मांग भी अच्छी नहीं है। लोगों का एक वर्ग है, मुश्किल से 1%, जो स्पुतनिक लगाने के लिए कहता है।’
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि मई से पिछले सप्ताह तक, निजी अस्पतालों द्वारा भारत में प्रशासित सभी टीकों का लगभग 6% ही निकाला गया। वहीं, सरकार ने उन्हें घरेलू उत्पादन का एक चौथाई तक खरीदने के लिए मुक्त कर दिया था।
भारत स्पुतनिक वी का एक प्रमुख उत्पादन केंद्र है, जिसकी नियोजित क्षमता लगभग 850 मिलियन शाट्स प्रति वर्ष है। डा रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड द्वारा जून में लान्च इवेंट के बाद से, अस्पतालों द्वारा स्पुतनिक वी की केवल 943,000 खुराक का इस्तेमाल किया गया ह। डा रेड्डीज ने इसपर बात करने से इनकार कर दिया।
भारत के टीकाकरण अभियान का मुख्य आधार एस्ट्राजेनेका वैक्सीन है, जिसे स्पुतनिक वी के विपरीत नियमित रेफ्रिजरेटर में रखा जा सकता है, जिसे -18 डिग्री सेल्सियस (-0.4 डिग्री फारेनहाइट) के तापमान की आवश्यकता होती है, जिसकी गारंटी अधिकांश भारत में असंभव है। निजी बाजार में यह टीका एस्ट्राजेनेका से भी 47% अधिक महंगा है।
एविस हास्पिटल्स, जो दक्षिणी शहर हैदराबाद में आठ टीकाकरण केंद्र चलाता है, ने भी 10,000 स्पुतनिक वी खुराक के आर्डर को रद कर दिया है। इसके अलावा एक अन्य पुणे अस्पताल ने स्पुतनिक वी आर्डर को रद कर दिया है।
कोविशील्ड से भारत का 88% टीकाकरण संभव हुआ है, इसके बाद भारत बायोटेक के घरेलू रूप से विकसित कोवैक्सीन की डोज दी गई हैं और दोनों को जनवरी के मध्य से, मुख्य रूप से सरकारी केंद्रों पर मुफ्त में दिया जाना शुरु कर दिया था।