पूरी तरह से देश में विकसित कोवैक्सीन कोरोना वायरस के ब्रिटेन में सामने आए नए स्वरूप पर भी पूरी तरह से कारगर है। एक नई स्टडी में यह जानकारी सामने आई है। कोवैक्सीन को आइसीएमआर और भारत बायोटेक ने मिलकर विकसित किया है। वेबसाइट बायो आर्काइव पर जारी लेख के अनुसार कोवैक्सीन लेने वाले 26 व्यक्तियों के खून से सीरम निकालकर यह अध्ययन किया गया।
ब्रिटेन में पनपे वायरस के नए स्वरूप पर किया गया स्टडी
खून के सीरम में वैक्सीन लेने के बाद कोरोना के खिलाफ बनी एंटीबॉडी मौजूद रहती हैं। इन सभी सीरम में ब्रिटेन से आए वायरस के नए स्वरूप और भारत में पहले से पाए जाने वाले वायरस को डालकर टेस्ट किया गया। टेस्ट में पाया गया कि कोवैक्सीन लेने वाले व्यक्ति के सीरम में मौजूद एंटीबॉडी, कोरोना के भारतीय और ब्रिटिश स्वरूप दोनों पर समान रूप से कारगर हैं और उन्हें पूरी तरह खत्म करने में सक्षम हैं।
कोवैक्सीन की कारगरता बरकरार रहेगी
ध्यान देने की बात है कि कोवैक्सीन को कोरोना के लाइव वायरस को निष्क्रिय कर तैयार किया गया है, जो पूरे वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार करता है। वहीं फाइजर, मॉडर्ना और एस्ट्राजेनेका द्वारा तैयार वैक्सीन कोरोना वायरस से स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार करता है। वायरस के ब्रिटिश स्वरूप में स्पाइक प्रोटीन में 23 म्यूटेशन पाए गए हैं। अभी ये म्यूटेशन स्पाइक प्रोटीन को पूरी तरह बदलने में सफल नहीं रहे हैं, इसीलिए स्पाइक प्रोटीन पर आधारित वैक्सीन वायरस से सुरक्षा प्रदान करने में तो कारगर हैं लेकिन स्पाइक प्रोटीन में ज्यादा म्यूटेशन की स्थिति में इनकी कारगरता प्रभावित हो सकती है। लेकिन ऐसी स्थिति में कोवैक्सीन की कारगरता बरकरार रहेगी।