नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश करने जा रही है. इसी के साथ ऐसा लग रहा कि Covid-19 अब एंडेमिक स्टेज में पहुंच गया है. मतलब यह कि लोगों में इसका फैलना तो जारी रहेगा लेकिन यह कम गंभीर होगा और इसके बारे में पूर्वानुमान भी लगाया जा सकता है कि अमुक क्षेत्र या अमुक तरह के लोगों में इसके संक्रमण का जोखिम रहेगा. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, समय के साथ यह रोग आम रोंगों मसलन फ्लू और कॉमन कोल्ड की तरह हो जाएगी. लेकिन इस चरण की आरंभ भिन्न-भिन्न जगहों पर भिन्न-भिन्न समय पर होगी. आबादी पर इस रोग का प्रभाव मुख्य तौर पर दो फैक्टरों से तय होगा- वैक्सीनेशन कवरेज और वायरस का म्यूटेशन.
सबसे पहले उन राष्ट्रों में कोविड-19 महामारी के बेअसर होने के संभावना हैं जहां या तो वैक्सीनेशन कवरेज बहुत बढ़िया है मसलन अमेरिका और ब्रिटेन या फिर वे देश जहां संक्रमण की वजह से बड़ी आबादी के भीतर कोविड-19 के विरूद्ध इम्युनिटी आ चुकी हो, जैसे भारत. इस लिहाज से हिंदुस्तान में संक्रमण के विशाल आंकड़े भी आशा की किरण साबित हो सकते हैं.
जुलाई में भारतीय काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने देशभर में सीरो सर्वे किया था. उसके अनुसार 8 राज्यों में 70 फीसदी सीरो-प्रिवेलेंस रहा यानी सर्वे में शामिल 70 फीसदी लोगों में कोविड-19 के विरूद्ध एंटीबॉडी मिली. सीएमसी वेल्लोर में क्लिनिकल वायरोलॉजी ऐंड माइक्रोबायलॉजी डिपार्टमेंट के हेड और रिटायर्ड प्रफेसर डॉक्टर टी जैबन जॉन ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘हम कह सकते हैं कि हम एंडेमिक स्टेज पर पहुंच चुके हैं. लेकिन यह वैक्सीनेशन की वजह से नहीं बल्कि नैचरल इन्फेक्शन की वजह से है.‘
दूसरी लहर के दौरान तबाह हुए दिल्ली में पिछले महीने प्रकाशित हुई सीरो सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 90 फीसदी से अधिक आबादी में कोविड-19 के विरूद्ध इम्युनिटी मिली. यानी राष्ट्रीय राजधानी में नयी लहर की संभावना बिल्कुल ही कम है बशर्ते कि कोई नया वेरिएंट न सामने आए. सर्वे से यह भी पता चलता है कि वैक्सीनेशन से लोगों में मजबूत इम्युनिटी पैदा हुई है.
वेरिएंट और तीव्रता
किसी वायरस के फैलने को आंकने के लिए वैज्ञानिक अक्सर R0 यानी आर नॉट टर्म का इस्तेमाल करते हैं. इसका मतलब है कि वायरस से संक्रमित आदमी से औसतन कितने लोगों में रोग फैल रही है. कोविड-19 के डेल्टा वेरिएंट के मुद्दे में आर नॉट 6 से 7 के बीच रही यानी औसत एक संक्रमित से 6 से 7 लोगों में रोग पहुंची.
डेल्टा वेरिएंट ने सिंगापुर और चाइना जैसे राष्ट्रों को प्रभावित किया है जहां वैक्सीनेशन रेट तो बहुत ऊंचा है लेकिन नैचरल इम्युनिटी (संक्रमण से पैदा होने वाली इम्युनिटी) कम रही क्योंकि वहां कड़े लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लागू थीं. रूस में अब भी वैक्सीनेशन कवरेज कम है. हाल के महीनों में डेल्टा वेरिएंट ने वहां भारी तबाही मचाई है.
इंपीरियल कॉलेज लंदन के महामारी जानकार नील फर्गुसन ने हाल ही में न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से बोला था कि ब्रिटेन पर भी डेल्टा वेरिएंट की मार पड़ी थी. उन्होंने चेतावनी दी है कोविड-19 वायरस की वजह से अगले 2 से 5 वर्षों तक सांस से जुड़ी रोंगों से औसत से अधिक मौतें देखने को मिल सकती हैं.
अमेरिका के फ्रेड हचिंसन कैंसर सेंटर में वायरोलॉजिस्ट ट्रेवर बेडफोर्ड की भविष्यवाणी है कि यूएस में इन सर्दियों में कोविड-19 की मामूली लहर देखने को मिल सकती हैं. 2022-23 में कोविड-19 वहां एंडेमिक स्टेज में पहुंच सकता है.
वायरस पर कसता शिकंजा
विश्व स्वास्थ्य संगठन Covid-19 रिस्पॉन्स को लीड करने वाली महामारी जानकार मारिया वैन कर्खोव ने इसी महीने रॉयटर्स से बोला था, ‘हमें लगता है कि अभी से लेकर 2022 के आखिर तक हम इस वायरस को काबू में कर सकते हैंतबतक हम संक्रमण को गंभीर होने और मृत्यु के मामलों में बहुत ज्यादा कमी कर पाएंगे.‘ हालांकि, पूरे विश्व में कोविड-19 के एक भी मुद्दे न हों, यहां तक पहुंचना अभी बहुत दूर की कौड़ी है. वायरस में तेजी से फैलने की क्षमता, म्यूटेट होने की योग्य ियत और इससे जुड़ी अनप्रेडिक्टेबिलिटी इस कार्य को और अधिक चुनौती वाली बना रही हैं.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, वैसे सबसे ठीक रास्ता यही है कि जितना संभव हो सके, अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीनेट किया जाए. इससे सरकार को कोविड-19 से निपटने के लिए लॉन्ग टर्म रणनीति बनाने के लिए समय मिलेगा. खासकर संभावित एंडेमिक फेज के लिए रणनीति के लिए समय मिल सकेगा.
वैक्सीनेशन के साथ ही, एंटीवायरल दवाओं के जरिए उपचार भी प्रभावी साबित हो रहा है. महत्वपूर्ण होने पर वैक्सीन के बूस्टर डोज दिए जाए. यह मानकर चलिए कि कोविड-19 अब हमारे रोजमर्रा की जीवन की सच है लिहाजा कोविड अप्रोप्रिएट बिहैवियर को आदत में शुमार करना महत्वपूर्ण है.