देश अभी कोरोना की दूसरी लहर से उबर ही रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर ने दस्तक दे दिया है। वहीं विश्वभर में बच्चों में कोरोना के संक्रमण सिर्फ आठ से दस फीसदी के बीच ही पाया गया। जो ज्यादातर अपने ही घर में रहकर ठीक हो गए। बहुत ही कम बच्चों को कोरोना के कारण जान गंवानी पड़ी। लेकिन कोरोना की तीसरी लहर से सभी चिंतित हैं। इस बीच स्वास्थ्य विशेषज्ञों की माने तो इस बार बच्चों में कोरोना संक्रमण का स्तर उनके ही आसपास रह सकता है। यहीं कारण है कि बच्चों के माता-पिता को ज्यादा चिंता करने की जरुरत नहीं है। लेकिन इससे सतर्क रहने की जरूरत है। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS)दिल्ली के एक विशेषज्ञ की माने तो कोरोना की तीसरी लह आने को लेकर उसपर किसी प्रकार का प्रामाणिक शोध नहीं किया गया है। लेकिन कुछ आंकड़ों के आधार पर ही नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट और आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने तीसरी लहर के बारे में तीन स्तर की संभावनाएं व्यक्त किया है।
पहली संभावना के अनुसार अगर लोग सामान्य स्थिति की तरह आपसी संपर्क बनाते हैं तो अक्टूबर के महीने तक कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है। लेकिन वैक्सीनेशन के दौरान प्रतिरोधी क्षमता की वजह से बहुत कम लोग बीमार पड़ सकते हैं। जबकि वहीं दूसरी संभावना के अनुसार अगर डेल्टा वैरियेंट की तहर ही कोरोना में कोई नया म्यूटेशन पाया जाता है तो वह डेल्टा से भी ज्यादा खतरनाक संक्रामक हो सकता है। और इसी के साथ तीसरी लहर का पीक अक्टूबर के बजाय सिंतबर के महीने में आ सकता है। वहीं तीसरी संभावना के अनुसार इस दौरान अगर लोग वैक्सीनेशन, मास्क और शारीरिक दूरी बनाते हो तो कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर महीने के अंत तक आ सकता है। बच्चों को कैसे बचाएं रखें बच्चों को कोरोना की तीसरी लहर से बचाएं रखने के लिए माता-पात को वैक्सीन की दोनों डोज लगवानी जरुरी है। इसके साथ ही घर के सभी नौकर और टीचर स्पाफ को भी वैक्सीन लगवाना जरुरी है। इसके अलावा मास्क लगाकर ही बच्चों को स्कूल भेजे।