शास्त्रों में सभी एकादशी को उत्तम व्रतों में से एक बोला गया है. प्रत्येक महीने में दो एकादशी पड़ती हैं. एक महीने के शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में. प्रत्येक एकादशी मोक्षदायनी होने के साथ किसी खास इच्छा को पूरा करने वाली होती है. श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है.वही इस बार 18 अगस्त बृहस्पतिवार को पुत्रदा एकादशी का उपवास रखा जाएगा. नि:संतान व्यक्तियों तथा बेटे की चाह रखने वालों के लिए ये व्रत बहुत श्रेष्ठ माना गया है. इसे पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. प्रथा है कि ये एकादशी व्रत शख्स के अंतर्मन को पवित्र कर देता है तथा उसे मनुष्य को जाने-अंजाने में हुए पापों से छुटकारा प्राप्त हो जाता है. यहां जानिए पुत्रदा एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि के बारे में.
शुभ समय:-
एकादशी तिथि शुरू – 18 अगस्त 2021 को प्रातः 03:20 बजे
एकादशी तिथि खत्म – 19 अगस्त 2021 को प्रातः 01:05 बजे
पारण समय – 19 अगस्त को प्रातः 06:32 बजे से 08:29 बजे तक
पूजा विधि:-
दशमी की शाम में सूर्यास्त होने के पश्चात् भोजन न करें तथा प्रभु श्री विष्णु का ध्यान करने के पश्चात् सोएं. प्रातः उठकर स्नान के वक़्त पानी में गंगाजल डालकर नहाएं. तत्पश्चात, साफ सुथरे कपड़े पहन कर पूजा करें. सबसे पहले प्रभु श्री विष्णु की मूर्ति के समक्ष घी का दीप जलाएं तथा हाथ में पुष्प, अक्षत एवं दक्षिणा लेकर मुट्ठी बंद करें तथा व्रत का संकल्प लें. इसके पश्चात् इसे फूल प्रभु के चरणों में छोड़ दें. अब एक कलश को लाल कपड़ा से बांधें फिर उसकी पूजा करके इस कलश के ऊपर प्रभु की मूर्ति रखें. मूर्ति पर जल आदि अर्पित करने के पश्चात् नया कपड़ा पहनाएं. फिर धूप दीप पुष्प आदि अर्पित कर नैवेद्य चढ़ाएं. उसके पश्चात् एकादशी की कथा का पाठ करें. पूजन के पश्चात् प्रसाद बांटे और ब्राह्मण को दान दक्षिणा दें. पूरे दिन निराहार रहें. यदि संभव न हो तो शाम के वक़्त फलाहार कर सकते हैं. एकादशी की रात में जागरण करें तथा प्रभु का भजन कीर्तन करते रहें. दूसरे दिन ब्राह्मण को खाना खिलाकर तथा दक्षिणा देकर सम्मानपूर्वक विदा करने के पश्चात् ही अपना व्रत खोलें.